Best 10 Motivational Story in Hindi- प्रेरणा दायक कहानियां

Motivational Story in Hindi

Best 10 Motivational Story in Hindi- प्रेरणा दायक कहानियां

नमस्ते सभी को। स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट पर। आज के इस महत्वपूर्ण लेख में, हम आपके साथ शेयर करेंगे 10 ऐसी प्रेरणादायक कहानियां (Motivational Story in Hindi) जो आपके जीवन में नई ऊर्जा और जोश भर सकती हैं, और आपको अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने में सहायक हो सकती हैं।

मित्रों, एक बात को समझ लें कि जीवन में सफलता पाने के लिए, हमें प्रेरणादायक कहानियों (Motivational Story in Hindi) और सफलता की कहानियों का अध्ययन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि जब हम किसी सफल व्यक्ति की कहानी सुनते हैं या पढ़ते हैं, तो हमें उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इसलिए, आपको यहां दिए गए 10 शानदार प्रेरणादायक कहानियों (10 Best Motivational Story in Hindi) को ज़रूर पढ़ना चाहिए।

Motivational story in hindi

हर इंसान अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है। हर किसी के पास अपने लक्ष्य और सपने (Goals and Dreams) होते हैं, लेकिन कुछ ही व्यक्ति होते हैं जो अपने लक्ष्यों तक पहुंच पाते हैं। उनकी सफलता/Success का राज क्या है? वे सफल लोगों की कहानियों को पढ़ते हैं, मोटिवेशनल किताबें (Motivational Books) पढ़ते हैं, उनसे सीखते हैं और हमेशा मोटिवेट/Motivate रहते हैं।

मित्रों, हमें यह जानकर खुशी हो रही है कि हम आपको हर दिन मोटिवेशनल पोस्ट (Motivational Post) प्रदान कर पाते हैं। हमारे लिए सफलता और मोटिवेशन हमेशा प्राथमिकता रहती है। इसलिए, हमारी वेबसाइट को फॉलो करें और हर रोज़ नई सफलता की कहानियों से अपने जीवन को प्रेरित करें। Motivational Story in Hindi

राजा की कहाँनी प्रेरणादायक कहानी: Motivational Story of King

एक बार राज दरबार में एक अजनबी व्यक्ति नौकरी के लिए आया। जब राजा ने उससे उसकी क्षमताओं के बारे में पूछा, तो वह व्यक्ति अपनी विशेषता/Qualities के बारे में बताने लगा। उसने कहा, “मैं किसी की भी शक्ल देखकर उसके बारे में जान सकता हूं, चाहे वह आदमी हो या जानवर।”

राज ने उसे अपने विशेष घोड़ों के अस्ताबल का इंचार्ज/Incharge बना दिया। कुछ दिनों बाद, राजा ने उससे अपने महत्वपूर्ण घोड़े के बारे में पूछा। उस व्यक्ति ने उत्सुकता से कहा, “यह घोड़ा नस्ली नहीं है।”

राजा ने आश्चर्य से पूछा, “कैसे?”

तब उस व्यक्ति ने बताया कि घोड़ा तो नस्ली है, लेकिन इसकी मां की मौत हो गई थी, और इसलिए इसने गाय के दूध से पला था। राजा ने अपने नौकर को बुलाया और उससे पूछा कि उसने ऐसा कैसे जान लिया कि घोड़ा नस्ली नहीं है।

महाराजा उस नौकर की क्षमताओं से प्रभावित हो गए, और उसे उसकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया। राजा ने नौकर को अनाज, घी, और खाने का भंडार भेजा, और उसे रानी के महल में नौकरी देने का फैसला किया।

कुछ दिनों बाद, राजा ने उस नौकर से रानी के बारे में अधिक जानने की इच्छा व्यक्त की। उसने कहा कि रानी तो धन, शौर्य और संगीत की प्रतिष्ठित है, लेकिन उसका जन्म घटित नहीं हुआ है।

राजा को इस बात से अचानक असमंजस महसूस हुआ। उसने अपनी सास को बुलाया और इस असमंजस का समाधान प्राप्त किया। सास ने बताया कि उसके पिता जी ने राजा से हमारी बेटी की पत्नी के रूप में संबंध बनाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन हमारी बेटी की पैदाइश के बाद ही वह इस संसार को अलविदा कह चुकी थी। इसी कारण, हमने अपनी संबंधित के बच्ची को अपनी बेटी बना लिया था।

राजा/King ने फिर से अपने नौकर से पूछा कि उन्हें रानी साहिबा के बारे में कैसे पता चला। उसने उत्तर दिया कि रानी साहिबा का नौकरों के साथ व्यवहार देखकर ही उनकी व्यक्तित्व/Personality की पहचान होती है, जो एक खानदानी इंसान की तरह नहीं है।

राजा ने फिर से उस नौकर के बयान से प्रभावित होकर उसे सम्मानित किया और उसे अनेक उपहारों सहित बहुत सारा सम्मान दिया, जिसमें बैल, बकरी और अन्य वस्त्र शामिल थे। साथ ही, उसे राजदरबार में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया।

कुछ समय बाद, राजा ने उस नौकर को अपने पास बुलाया और उससे अपने बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की। जवाब में, नौकर ने कहा कि जीवन की सलामती हो तो बताऊं,, और राजा ने उसे इस वचन का पालन करने का वादा किया।

नौकर ने कहा, “न तो आप राजा के बेटे हैं, और न ही आपका आचरण राजाओं जैसा है।” राजा को गुस्सा आया, लेकिन उसने जान की सलामती का वादा किया था, इसलिए वह शांत रहा।

राजा तुरंत अपनी मां के पास गया और उसने सच्चाई पूछी। उसकी मां ने कहा, “यह सच है, तुम एक चरवाहे के बेटे हो। हमारे कोई संतान नहीं थी, इसलिए हमने तुम्हें गोद लिया और पाला।” राजा ने फिर से नौकर को बुलाया और पूछा कि उसे यह कैसे पता चला।

नौकर ने उत्तर दिया, “जब राजा किसी को इनाम देते हैं, तो वे सोना, चांदी और आभूषण देते हैं। लेकिन आपने भेड़-बकरियां और खाने-पीने का सामान दिया। यह व्यवहार एक चरवाहे का हो सकता है, किसी राजा का नहीं।”

नौकर ने आगे कहा, “धन-दौलत केवल बाहरी दिखावा है। किसी इंसान की असली पहचान उसकी आदतों और व्यवहार से होती है।”

Moral this motivational story

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह प्रेरणा/Inspiration मिलती है कि इंसान की महानता उसके व्यवहार, आदतों और सोच से होती है, न कि उसके पास कितनी धन-दौलत है इससे। किसी व्यक्ति की असली पहचान उसके रहन-सहन और आचरण से होती है। इसलिए, हमेशा अपने व्यवहार और आदतों को अच्छा रखें।

Motivational Story in Hindi

एक बार एक दुकानदार (Shopkeeper) अपनी दुकान बंद करके घर चला जाता है। उसी रात, एक भूखा सांप / Snake उसकी दुकान में घुस जाता है। वह सांप भोजन की तलाश में दुकान के अंदर इधर-उधर घूमता रहता है।

घूमते-घूमते सांप वहां रखी एक धारदार कुल्हाड़ी से टकरा जाता है और जख्मी हो जाता है। पहले से ही भूखा और अब घायल होने के कारण, सांप क्रोधित हो जाता है और बदले की भावना से कुल्हाड़ी को डसने लगता है। इससे वह और ज्यादा जख्मी हो जाता है और उसके मुंह से खून निकलने लगता है।

दूसरी चोट से और भी अधिक क्रोधित होकर, सांप कुल्हाड़ी से लिपट जाता है और उसे कसकर पकड़ लेता है, दुश्मन समझकर उस पर नाशपात करने की कोशिश करता है। इस प्रयास में उसका सारा शरीर कट जाता है और अंततः सांप वहीं मर जाता है।

सुबह जब दुकानदार अपनी दुकान खोलता है, तो उसे वहां कुल्हाड़ी के पास मरा हुआ सांप दिखता है। उसे समझ में आ जाता है कि सांप अपनी ही क्रोध और मूर्खता के कारण मरा है।

Moral of this Story

इस प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story) का नैतिक यह है कि क्रोध कभी भी इंसान को आगे नहीं बढ़ने देता, बल्कि उसे विनाश की ओर ले जाता है। किसी भी परिस्थिति को शांतिपूर्वक सुलझाया जा सकता है। यदि आपको जीवन में आगे बढ़ना है, तो क्रोध को त्याग दीजिए, वरना यह क्रोध आपको उस सांप की तरह नष्ट कर देगा और आपके विनाश का कारण बन जाएगा।

Motivational Story in Hindi

एक बार की बात है, एक लकड़हारा पूरे जोश और ताकत के साथ एक के बाद एक पेड़ काटता था। वह लगातार बिना रुके जंगल में पेड़ काटने का काम करता था। एक दिन, एक दूसरा व्यक्ति जंगल में आया और उसने देखा कि लकड़हारा कभी धीमा नहीं होता और हमेशा उसी ऊर्जा के साथ पेड़ काटता रहता है।

यह व्यक्ति लकड़हारे की लगन और मेहनत देखकर प्रभावित हुआ और सोचने लगा कि इसमें क्या खास बात है। उसने भी सोचा कि वह भी ऐसा कर सकता है और उसने भी पेड़ काटना शुरू कर दिया। पहले दिन उसने लकड़हारे से भी ज्यादा पेड़ काटे और बहुत खुश हुआ। अगले दिन वह फिर से पेड़ काटने निकला, लेकिन आज उसने पहले दिन से कम पेड़ काटे। यह क्रम चलता रहा और हर दिन उसके पेड़ काटने की संख्या घटती गई।

वह व्यक्ति इस बात को लेकर काफी चिंतित हो गया और लकड़हारे के पास जाकर अपनी समस्या बताई। लकड़हारा मुस्कुराते हुए बोला, “बेटा, मैं हर दिन रात को आराम करता हूं और अपनी कुल्हाड़ी की धार को तेज कर लेता हूं। इससे मुझे अगले दिन लकड़ी काटने में आसानी होती है।”

यह सुनकर वह व्यक्ति समझ गया कि सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, बल्कि सही तकनीक और नियमित सुधार से भी मिलती है।

Moral of the Story

दोस्तो, इस प्रेरणादायक कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि क्या आप अपने आप को शिक्षित कर रहे हैं और अपने दिमाग को तेज कर रहे हैं। आज का युग सीखने का युग है, जहां जितना अधिक आप अपना ज्ञान बढ़ाएंगे, उतना ही सफल और कामयाब इंसान बनेंगे। इसलिए, हमें हमेशा अपने आप को अपग्रेड करते रहना चाहिए।

Motivational Story in Hindi

एक बार एक भारतीय फुटवियर कंपनी ने अपने कारोबार को दक्षिण अफ्रीका में विस्तार करने की योजना बनाई। कंपनी के दो वरिष्ठ कर्मचारी, राकेश और राजेश, जो एक ही पद पर थे और दोनों ने एक ही कॉलेज से एमबीए किया था, को यह काम सौंपा गया। हालांकि, दोनों की सोच और दृष्टिकोण में बड़ा अंतर था।

कंपनी ने राकेश और राजेश को दक्षिण अफ्रीका जाकर सर्वेक्षण और डेटा संग्रह करने का निर्देश दिया, ताकि वे वहां अपने फुटवियर कारोबार को बढ़ा सकें।

राजेश ने इस आदेश पर नाराजगी जताई और कंपनी पर आरोप लगाने लगा कि मालिक हमेशा उसे ही चुनते हैं किसी भी काम के लिए। वह इस काम से पूरी तरह परेशान हो गया, लेकिन मालिक के आदेश का पालन करना अनिवार्य था, इसलिए उसे जाना ही पड़ा।

वहीं, राकेश इस मौके से बहुत खुश था। उसे घूमने का शौक था और वह अपने व्यवसाय को नई जगहों पर ले जाने और नए लोगों से मिलने में बहुत रुचि रखता था।

दोनों कर्मचारी एक ही विमान से दक्षिण अफ्रीका पहुंचे, लेकिन सर्वेक्षण करने के लिए उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा गया।

राजेश ने दक्षिण अफ्रीका में जो भी डेटा एकत्र किया था, उसे कंपनी के मालिक को भेज दिया। उसने लिखा, “यहां हमारा व्यवसाय सफल नहीं हो सकता। यहाँ के लोग बहुत अलग हैं और उनका रहन-सहन हमारे से बिल्कुल मेल नहीं खाता। सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां के लोग जूते-चप्पल नहीं पहनते। इन्हें हमारे उत्पादों की जरूरत ही नहीं है, इसलिए यहां व्यापार करना बहुत मुश्किल है।”

वहीं, राकेश ने अपने सर्वेक्षण का डेटा और रिपोर्ट उत्साहपूर्वक मालिक को प्रस्तुत की। उसने लिखा, “सर, यहां हमारे फुटवियर कारोबार को बढ़ाना बहुत ही आसान है। यहां के लोग जूते-चप्पल नहीं पहनते हैं, इसका मतलब है कि हमारे पास एक बहुत बड़ी अनछुई बाजार है। हम आसानी से अपने फुटवियर बेचकर अपने कारोबार को कई गुना बढ़ा सकते हैं।”

कंपनी के मालिक ने राकेश की सकारात्मक सोच और व्यावसायिक दृष्टिकोण को सराहा और उसे कंपनी का हेड बना दिया। वहीं, राजेश को उसके नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण निचले पद पर काम करना पड़ा।

Moral of this Story

दोस्तों, इस प्रेरणादायक कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हमारी सोच सकारात्मक हो तो हर काम आसान लगता है और कोई न कोई समाधान अवश्य मिल जाता है। इसके विपरीत, नकारात्मक सोच रखने पर हमारा दिमाग काम करना बंद कर देता है और हमें मुश्किलें ही नजर आती हैं। इसलिए, अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक रखना बहुत जरूरी है।

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एक बार एक श्याम ना का लड़का था, वह अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान था। क्यों की उसके पास पैसे नहीं थे. तो श्याम इस बात का सॉल्यूशन लेने अपने गुरु जी के पास गया और बोला गुरु जी में पैसे के लिए बहुत परेशान हूं और में चाहता हूं कि मेरे माता पिता को पूरी दुनिया की तीर्थ यात्रा करवाए, लेकिन यह सब पैसे के बिना संभव नहीं है.

गुरु जी ने श्याम को अपने पीछे आने को कहा, और गुरु जी श्याम को एक समुंद्र के किनारे ले गए, जहां पर बहुत सारे कंकड़ पड़े हुए थे. और गुरु जी ने श्याम से कहां कि बेटे देखो यहां पर जीतने भी कंकड़ पड़े हैं, उनमें से एक ऐसा कंकड़ है जो किसी भी धातु से टच करे तो वह सोने की अर्थात गोल्ड की बन जाती हैं.

और उस कंकड़ की पहेचान तापमान से होगी, बाकी के सभी कंकड़ आपको कोल्ड लगेंगे, लेकिन जो गोल्ड बनाने वाला कंकड़ गर्म होगा उसका तापमान अधिक होगा. अगर तुम उस कंकड़ को पहेचान लोगे तो तुम चाहो जीतने पैसे कमा सकते हैं इस बात को सुनकर श्याम बहुत खुश हुआ, लेकिन साथ में लड़के को यह भि पता था कि, गुरु जी का दिया हुआ टास्क आसान नहीं हो सकता है.

अगले दिन से श्याम उस जगह जाकर कंकड़ों की पहचान करने में जुट गया। पूरे दिन वह कंकड़ों को छू-छूकर देखता, लेकिन हर बार उसके हाथ ठंडे कंकड़ ही लगते। वह उन सभी ठंडे कंकड़ों को समुद्र में फेंक देता, ताकि उन्हें दोबारा न देखना पड़े और समय भी बच सके।

दिन बीतते गए। पांच दिन, दस दिन, चार महीने हो गए, लेकिन अभी तक उसे वह गर्म कंकड़ नहीं मिला। श्याम थोड़ा निराश था, लेकिन उसे पूरा विश्वास था कि एक दिन उसे वह कंकड़ जरूर मिलेगा।

अगले दिन से उसने फिर से अपनी खोज जारी रखी। अब वह कंकड़ों को जल्दी-जल्दी परखकर समुद्र में फेंकने लगा। उसकी गति तेज हो गई थी, और पांच महीने बाद उसकी स्पीड और भी ज्यादा बढ़ गई थी। वह इस काम को अब हल्के में लेने लगा था।

फिर एक दिन, उसके हाथ वह गर्म कंकड़ लग गया, लेकिन अपनी तेजी के चलते उसने उसे भी समुद्र में फेंक दिया। उसे महसूस ही नहीं हुआ कि यह वही खास कंकड़ था जिसकी उसे तलाश थी। कुछ सेकंड बाद उसे एहसास हुआ कि उसके हाथ गर्म कंकड़ आया था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वह कंकड़ समुद्र में जा चुका था और श्याम उसे वापस नहीं निकाल सकता था।

Moral of this Story

दोस्तों, इस प्रेरणादायक कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में रोज नए अवसर आते हैं, लेकिन अगर हम उन्हें गंभीरता से नहीं लेते, तो वे हमारे हाथ से निकल सकते हैं। यदि हमें जीवन में बड़ी सफलता चाहिए, तो एक भी दिन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। जब हम लापरवाही से काम करते हैं, तो कई महत्वपूर्ण अवसर हाथ से छूट जाते हैं। इसलिए, हमें हर काम को समझदारी और ध्यान से करना चाहिए ताकि हम अपने लक्ष्य तक पहुंच सकें।

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एक बार एक कौआ था जो अपनी जिंदगी से बहुत परेशान था। एक दिन वह एक पेड़ पर बैठा था और उदास होकर रो रहा था। उसी समय वहां से एक महात्मा गुजर रहे थे। अचानक कौए की एक आंसू की बूंद महात्मा के गाल पर गिरी। महात्मा ने ऊपर देखा और पूछा, “कौए, तुम क्यों रो रहे हो?”

कौआ बोला, “महात्मा जी, मैं अपनी जिंदगी से बहुत परेशान हूं। भगवान ने मुझे जिंदगी दी है, लेकिन मेरा रंग काला कर दिया। जहां भी जाता हूं, लोग मुझे भगा देते हैं। कोई मुझे पालता भी नहीं, मैं केवल श्राद्ध में काम आता हूं और जूठा खाता हूं। मेरी जिंदगी बहुत मुश्किल है।”

महात्मा ने कहा, “अगर तुम कुछ और बनना चाहते हो तो बताओ, मैं तुम्हें बना दूंगा।”

कौआ बोला, “मैं हंस बनना चाहता हूं।”

महात्मा ने कहा, “ठीक है, लेकिन पहले हंस से मिल लो।”

कौआ हंस के पास गया और बोला, “हंस भाई, तुम्हारी जिंदगी कितनी सुंदर है। तुम्हारा रंग कितना प्यारा है, तुम पानी में कितनी शान से तैरते हो। तुम्हें बहुत खुश रहना चाहिए।”

हंस ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं भी परेशान हूं। सफेद रंग में कोई खास बात नहीं है, पानी में तो मैं नजर ही नहीं आता।”

फिर दोनों महात्मा के पास आए और हंस बोला, “महात्मा जी, मुझे तोता बना दीजिए।”

महात्मा ने कहा, “पहले तोते से मिल लो।”

दोनों तोते के पास गए और हंस बोला, “तोता भाई, तुम्हारी जिंदगी कितनी खूबसूरत है। लोग तुम्हें प्यार से मिट्ठू बुलाते हैं।”

तोता बोला, “भाई, मेरी जिंदगी भी मुश्किल है। मेरा रंग ऐसा है कि मैं पेड़ में छिप नहीं सकता। लोग हर समय मुझे पकड़ने की कोशिश करते रहते हैं।”

फिर तीनों महात्मा के पास आए और तोता बोला, “महात्मा जी, मुझे मोर बना दीजिए।”

महात्मा ने कहा, “पहले मोर से मिल लो।”

तीनों मोर के पास गए और बोले, “मोर भाई, तुम्हारी जिंदगी कितनी मस्त है। लोग तुम्हारा नाच देखने के लिए उत्साहित रहते हैं।”

मोर बोला, “मेरी जिंदगी भी मुश्किल है। मुझे हर समय शिकारियों का डर रहता है।”

कौआ हैरान होकर बोला, “तो फिर कौन खुश है?”

मोर ने जवाब दिया, “तू ही सबसे ज्यादा खुश है। तुझे किसी बात का कोई खतरा नहीं है।”

दोस्तों, इस प्रेरणादायक कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम अक्सर दूसरों की जिंदगी को बेहतर समझते हैं, लेकिन हर किसी की जिंदगी में समस्याएं होती हैं। हमें अपनी जिंदगी में खुश रहना चाहिए और उसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना चाहिए।

Conclusion

आशा करते हैं कि आपको यह 10 बेहतरीन प्रेरणादायक कहानियाँ हिंदी में अवश्य पसंद आई होंगी और इन कहानियों से आपने काफी कुछ सीखा होगा। दोस्तों, यदि आपको ये कहानियाँ अच्छी लगी हों तो कृपया इन्हें अपने मित्रों के साथ साझा करें और नीचे कमेंट करके हमें अपनी राय जरूर बताएं।

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